प्राकृतिक चिकित्सा एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जो जीवन के शारीरिक, मानसिक, नैतिक ओर आध्यात्मिक ओर रचनात्मक सिध्दांतों का निर्माण होता है। इसमें स्वास्थ्य को बढ़ाने पर रोग निवारण करना ओर शरीर की रोगप्रतिरधक शक्ति को ओर मजबूत बनाना है।
पंचतत्व आकाश वायु अग्नि जल पृथ्वी की मदद से प्राकृतिक चिकित्सा के साधनों द्वारा शरण के बीच जातीय द्रव्य को बाहर निकालने की क्रिया में मदद करना ही प्राकृतिक चिकित्सा है।
प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में शरीर में से दूषित तत्वों विशतत्वों को शरीर के बाहर निकाला जाता है ओर पोषक तत्वों का निर्माण ओर बढ़ान पर पूरा जोर लगाया जाता है।
नेचरोपैथी Do Not Harm यानी शरीर को किसी भी प्रकार से हानि नही पहोचाने पर जोर दिया गया है।
पुराने समय में जब चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित नहीं हुआ था बीमारियों को भिन्न-भिन्न रूपों में देखा जाता था कोई इन्हें देवताओं का श्राप मानते थे और कोई अपने को कर्मों का फल मानते थे।
कुछ लोग मृत विश्वास का शरीर में आकर रोना ही बीमारी मानते थे। इसलिए चिकित्सा या उपचार करते समय मारना झाड़-फूंक करना शरीर को जलाना या दागना और कहीं-कहीं देवी देवताओं को प्रसन्न करने में लिए बली चढ़ाई जाती थी,
आज चिकित्सा विज्ञान काफी विकसित हो चुका है एलोपैथी चिकित्सा में हर प्रकार के रोगों के लिए कुछ ना कुछ चिकित्सा या ऑपरेशन उपलब्ध है फिर भी आज हम कोरोना और ऐसी कई लाइलाज बीमारियां ठीक नहीं कर पा रहे हैं।
एलोपैथिक चिकित्सा अकस्मात और गंभीर रोग जिसमें तुरंत ऑपरेशन अनिवार्य हो उसमें आवश्यक है किंतु प्राकृतिक चिकित्सा शरीर के प्राकृतिक ढांचे को कम हानि पहुंचा कर बिना ऑपरेशन के सभी प्रकार के दर्द और रोगों को ठीक करने का प्राधान्य देता है।
एलोपैथिक चिकित्सा मैं रोगों को ठीक करने के लिए शरीर में कीटाणुओं को मारने से ही रोग ठीक हो जाएगा इस विचार से गोलिया या इंजेक्शन दिए जाते हैं। कीटाणुओं को मारने के लिए जो औषधिया दी जाती है, अबे काफी जहरीली और खतरनाक होती है।
पंचमहाभूत ओं के सिद्धांत पर भी इनका जोर रहता है। एनिमा स्टीम बाथ वुमन धोती नेति आदि भी करा कर शरीर शोधन का काम कराया जाता है।
कभी-कभी कुछ लोग 12 क्षारो से शरीर के असंतुलन को ठीक करने की कोशिश करते हैं। इन चिकित्सकों से शरीर की पीड़ा कम ज्यादा होती देखी जाती है परंतु पूर्ण स्वास्थ्य नहीं मिलता क्योंकि इन पद्धतियों में आहार नहीं बदला जाता है।
कभी-कभी कुछ लोग 12 क्षारो से शरीर के असंतुलन को ठीक करने की कोशिश करते हैं। इन चिकित्सकों से शरीर की पीड़ा कम ज्यादा होती देखी जाती है परंतु पूर्ण स्वास्थ्य नहीं मिलता क्योंकि इन पद्धतियों में आहार नहीं बदला जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा शरीर के स्नायु तंत्र की थकान मिट आत है और यही बीमारी का सबसे बड़ा कारण है। या शरीर के विष को बाहर निकलती है। शरीर की टूट-फूट को पूरा करती है और शरीर इस प्रकार साफ होकर जब सुंदर और स्वस्थ बनता है, तो यही सच्ची प्राकृतिक चिकित्सा है। प्राकृतिक चिकित्सा ही केवल एक चिकित्सा पद्धति है जो जर्जर शरीर को प्राकृतिक साधनों से ठीक करके सुडोल बनाती है।
जब प्राकृतिक चिकित्सा इतनी प्रभावी और लाभदायक उपचार पद्धति है, तो क्यों नहीं इनका इतना प्रचार होता, जितना एलोपैथी का है। वास्तव में यह चिकित्सा संयम पर आधारित है, जो आज समझ में संभव नहीं दिखता है।
कुछ लोग जो वास्तव में स्वस्थ होना चाहते हैं और स्वस्थ रहना चाहते हैं वह इस चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक चिकित्सा में आते हैं। ऐसे रोगी अपने रोगों से मुक्ति पाते ही हैं साथ ही शरीर भी नए हो जाते हैं।
इसलिए संयम समय और संपत्ति की जरूरत पड़ती है जिन प्रभाव से दवाओं से शरीर की बीमारी दबा दी थी, उसको निकालना और बाद में बीमारी ठीक करना प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का ही काम है।